डॉo अम्बेडकर वाचनालय अरवल में अतिपिछड़ा आरक्षण बचाओ संघर्ष मोर्चा, अरवल के द्वारा तत्वावधान में महान समाजवादी जननायक कर्पूरी ठाकुर जी की जयन्ती मनायी गयी
अरवल जननायक के तैलचित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्धा सुमन अर्पित किया गया।जिसकी अध्यक्षता अतिपिछड़ा आरक्षण बचाओ संघर्ष मोर्चा अरवल के संयोजक अजय विश्वकर्मा ने किया।
जननायक कर्पूरी ठाकुर का जन्म 24 जनवरी1924 को समस्तीपुर के ग्राम पितोझिंया में हुआ था।वे सरल व मृदुभाषी स्वभाव के राजनेता थे।बिहार के प्रथम विधानसभा से अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत करते हुये, वे बिहार के दो बार मुख्यमंत्री, एक बार उपमुख्यमंत्री एवं विरोधी दल के नेता भी बने।राजनीति में इतना लम्बा सफर तय करने के बाद भी परिवार को रहने के लिये सिर्फ मकान छोड़े।वे सही मायने में गुदड़ी के लाल थे।वे आजीवन समाज के शोषितों, वंचितों, दलितों एवं अतिपिछड़ों के लिये संघर्ष करते रहे। संघर्षों के बल पर ही राजनीति में ऊंचाइयों को छूने का काम किये।यही कारण था कि जनता के दिलों पर राज करते रहे।जनता से मिली लोकप्रियता ने ही जननायक बना दिया।वे बिहार में सबसे पहले 1978 में पिछड़े एवं अतिपिछडे वर्गो के लिये सरकारी सेवाओं में आरक्षण लागू किये थे।वे सही मायने में सामाजिक न्याय के सूत्रधार थे।समारोह के माध्यम से भारत सरकार से भारत रत्न से सम्मानित करने की मांग की गयी।कार्यक्रम में मुख्य रूप से मो0 अंसारुल्ल हक, जयप्रकाश नारायण सिन्हा पूर्व शिक्षक,कामेश्वर ठाकुर, जशिम अहमद, सुदर्शन पंडित, बिन्दलाल पाल, नरेश साव, रामजी शर्मा, संजय शर्मा,, रामछपित बिन्द,, मुना ठाकुर, सहित सैकड़ों लोंगो ने भाग लिया।
जननायक कर्पूरी ठाकुर का जन्म 24 जनवरी1924 को समस्तीपुर के ग्राम पितोझिंया में हुआ था।वे सरल व मृदुभाषी स्वभाव के राजनेता थे।बिहार के प्रथम विधानसभा से अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत करते हुये, वे बिहार के दो बार मुख्यमंत्री, एक बार उपमुख्यमंत्री एवं विरोधी दल के नेता भी बने।राजनीति में इतना लम्बा सफर तय करने के बाद भी परिवार को रहने के लिये सिर्फ मकान छोड़े।वे सही मायने में गुदड़ी के लाल थे।वे आजीवन समाज के शोषितों, वंचितों, दलितों एवं अतिपिछड़ों के लिये संघर्ष करते रहे। संघर्षों के बल पर ही राजनीति में ऊंचाइयों को छूने का काम किये।यही कारण था कि जनता के दिलों पर राज करते रहे।जनता से मिली लोकप्रियता ने ही जननायक बना दिया।वे बिहार में सबसे पहले 1978 में पिछड़े एवं अतिपिछडे वर्गो के लिये सरकारी सेवाओं में आरक्षण लागू किये थे।वे सही मायने में सामाजिक न्याय के सूत्रधार थे।समारोह के माध्यम से भारत सरकार से भारत रत्न से सम्मानित करने की मांग की गयी।कार्यक्रम में मुख्य रूप से मो0 अंसारुल्ल हक, जयप्रकाश नारायण सिन्हा पूर्व शिक्षक,कामेश्वर ठाकुर, जशिम अहमद, सुदर्शन पंडित, बिन्दलाल पाल, नरेश साव, रामजी शर्मा, संजय शर्मा,, रामछपित बिन्द,, मुना ठाकुर, सहित सैकड़ों लोंगो ने भाग लिया।


